The Local Train
Dilnawaz
[Verse 1]
फिरसे वही यह समा
चेहरे वही
बदली जुबां
खुदगर्ज़ है ये दस्तूर इ जहां
आए ग़म इ दोस्त तू है कहाँ
सोचता हु क्यों चेहरा है नक़ाब
अजनबी है तू फिर कौन दिलनवाज़
ना मिला है वो सुकून ए दिल
मिला जहां

[Verse 2]
है कश्मकश बेइन्तेहाँ
यह सिलसिले क्यों खामखा
खली है दिल अपने ऊँचे मकान
आए ग़म इ दोस्त तू है कहाँ
सोचता हु क्यों चेहरा है नक़ाब
अजनबी है तू फिर कौन दिलनवाज़
ना मिला है वो सुकून ए दिल
मिला जहां

[Verse 3]
रस्ते वहि और हम रवा
खुदगर्ज हे ए दस्तुरे जहा
ए गमे दोस्त तु हे कहाँ
सोचता हु क्यों चेहरा है नक़ाब
अजनबी है तू फिर कौन दिलनवाज़
ना मिला है वो सुकून ए दिल
मिला जहां